अपारे काव्यसंसारे कविरेकः प्रजापतिः।
यथास्मै रोचते विश्वं तथेदं परिवर्तते।।
अर्थात :- काव्य रूपी संसार का एकमात्र निर्माता कवि होता है, वह स्वेच्छा से इस काव्य-संसार को अपनी रूचि के अनुसार बदल कर लिख सकता है।
इसका मतलब यह है कि कवि या लेखक जब कोई काव्य (निबंध, कहानी, उपन्यास, कविता आदि काव्य की सभी विधाएँ ) लिखता है, तो वह पूरी तरह लिखने के लिए आज़ाद होता है। वह अपनी प्रतिभा और कल्पना के ज़रिए आपने काव्य को अपनी मरज़ी से जो संसार में सम्भव न हो उसे भी काव्य में व्यंग्य, अलंकार आदि के माध्यम से वर्णन करने में स्वतंत्र होता है।
Really Kavi is very powerful 👍🖋️🖋️
ReplyDelete👍👍 good
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