जयंति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः।
नास्ति तेषां यशःकाये जरा मरणजं भयम_।।
अर्थात_ : - उन नवरसों को साध लेने वाले, उत्कृष्ट काव्य को लिखने वाले महाकवियों का अभिवादन है, जिनके कीर्ति रूपी शरीर में वृद्धावस्था और मरण का भय नहीं होता। अर्थात_ वह अपने यश रूपी शरीर से सदैव संसार में अमर हो जाते हैं।
👍👍👌👌
ReplyDeleteAwsm Ma'am, really great initiative.
ReplyDeleteThank you 😊
Deleteशोभनम् उक्तम्
ReplyDeleteशोभनम् उक्तम्
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सटीक
ReplyDeleteसही कहा; कीर्ति रूपी शरीर अमर रहता है ।
ReplyDeleteExcellent fact about poet🤘✌️
ReplyDeleteउत्तम विचार
ReplyDeleteBahut Sundar mam ji. Pranaam
ReplyDeleteVery True ✅️✔️☑️✔️ Intentions of kavi are immortal.
ReplyDeleteExcellent work...👍
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