Wednesday, August 19, 2020

Immortal Kavi

 जयंति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः। 
नास्ति तेषां यशःकाये जरा मरणजं भयम_।। 

अर्थात_ : - उन नवरसों को साध लेने वाले, उत्कृष्ट काव्य को लिखने वाले महाकवियों का अभिवादन है, जिनके कीर्ति रूपी शरीर में वृद्धावस्था और मरण का भय नहीं होता।  अर्थात_ वह अपने यश रूपी शरीर से सदैव संसार में अमर हो जाते हैं। 

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